Friday, August 24, 2018

*व्यावहारिक गोरमाटी भाषा - एक अभ्यास..!*

*वाते मुंगा मोलारी*
     My Swan song

*व्यावहारिक गोरमाटी भाषा - एक अभ्यास..!*

         व्यावहारिक गोरमाटी भाषा ईज खर गोरगणेर सौंदर्य संपन्न आदिम भाषा छ.जेष्ठ अभ्यासक अशोक राणार संदर्भेर नंजरेती दिटे तो व्यावहारिक गोरमाटी भाषा कतोज वाणीचा व्यापार हानू सिद्ध वचं."वाड;मय म्हणजे वाणीचा व्यापार. लेखनकला अवगत नव्हती म्हणून केवळ वाणीचा वापर ज्या काळात होत असे त्या काळातील साहित्याला वाड;मय असे म्हणतात.वाणीचा कलात्मक वापर करणार्यांना वाड;मयकार असे म्हणतात".
                  पेना गोरगणेरो भाषा व्यवहार इ कलात्मक डिलेती वेतेतो,करन ये कलात्मक ढंगेरे भाषा व्यवहारेनं "व्यावहारिक गोरमाटी भाषा" ई विवेचन न्याव संगत ठरचं.ऐतिहासिक पुरावेरो एक महत्वेरो मौखिक साधन करन ये व्यावहारिक गोरमाटी भाषारो मोल घणो मेंगो छ.अन ईज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा,भाषावैज्ञानिकेरे अभ्यासकेनं नवदृष्टी दे सकचं.
              ये कलात्मक ढंगेरे सौंदर्य संपन्न पेनेबाज व्यावहारिक  गोरमाटी भाषारे अस्तित्वेपं गोर वाड;मयीन संस्कृतीरो झंडा अभिमानेती जुग जुग फडकतो रेयेवाळो छ.गोरुरे ये अस्मितारे झंडानं जपणू इ आपण सेरो आद्य कर्तव्य छ अन ईज खरो 'गोरपणो' छ.आपण वाड;मयीन अभिरुची प्रगल्भ वेये सवायी इ सौंदर्य संपन्न  पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा आपणेनं वाचतू आयेवाळ भी छेनी. आज आपण वाड;मयीन अभिरुची घण फिकथुस वेगी छ.

✍ .. *या मारो मुंगेके आवढा मोगडाये..*
           *चावळे आवढा फुल..!*
✍ .. *लावणेती मारीयूं तो तेड चलायूं..आनेर सूं..!*
          *चावळ गळगे सूं..!*

          आसे प्रकारेर ये पेनेबाज वाड;मयीन भाषारो आकलन आज आपणेनं वेरो कोनी छ,इज गोर वाड;मयीन संस्कृतीरो दुर्दैव्य छ. आपणेनं आपणज भाषाज जर न वाचतू आये तो आपणेनं आपणे संस्कृतीरो आकलन कू विये? प्रश्न मोटो गंभीर छ.
             आज दैनंदिन व्यवहारेमं आपण जे गोरमाटी भाषार वापर कररे छा,ऊ केवळ एकमेकेनं समजन लेयेसारुर एक सोय छ,कतोज ऊ एक भाषा व्यवस्था छ. लयबद्धता,गेयता ई जो पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषारो जन्मजात स्वभावगुण छ इ स्वभावगुण ये गोरमाटी भाषा व्यवस्थामं आढळ आयेनी.गोरगणेर मूळ संस्कृती जतन रकाडेर अन गोरगणे माईरो "गोरमाटी" घडायेर कुवत ये गोरमाटी भाषा व्यवस्थामं आजीबात छेनी.ये प्रचलित गोरमाटी भाषा व्यवस्थामं भाषारो प्रौढत्व आजीबात आढळेनी.ई प्रचलित भाषा व्यवस्था संशोधनेर नंजरेती ढिलढस ठरचं..!
               व्यावहारिक गोरमाटी भाषामं सोतार मालकीर पेनेबाज केणावट,चोटे,साधित शब्द,भाषार अलंकार अन आलंकारिक शब्देर रेलछेल योजना छ.जसो 'वावरमावर,ठालोठालो,ठालोपालो,ठालो ठणको,सुख सपारी खाल्डार हाट! आसे प्रकारेर साधित शब्द रचनाती अन केणावटेती व्यावहारिक गोरमाटी भाषारो सौंदर्य एकदम पेनेबाज दखावचं.
           *मार कांयी आडरो कोनी छ* इ एक सुदसट ढिलढस भाषा व्यवस्था छ तो *मार कांयी गोडेपं गुणी कोनी पडी वेरी!* ई सौंदर्य संपन्न कलात्मक कतो पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा व्यवहार छ.व्यावहारिक गोरमाटी भाषा इ विज्ञान,आध्यात्म, इतिहास,वाड;मयेर डिलेती संपन्न आस श्रीमंत भाषा छ.आतराज कोनी तो *ओजेबोजेती रेणू!* *त॔गान खाणू;पणन मांगन न खाणू!* आसे प्रकारेर स्वाभिमानेती जगणेर एक सिक देयेर भी कुवत ये व्यावहारिक गोरमाटी भाषामं आढळ आवचं.
                व्यावहारिक गोरमाटी भाषा माईर कांयी कांयी आलंकारिक शब्देनं नागरी प्रमाण भाषामं भी पर्याय देतू आयेनी.अन पर्याय देतू आवतो विये तरी पणन ओ शब्देलारं सांस्कृतिक संदर्भ रियेज येर कांयी नेम केतू आयेनी. उद:- डावोडुंगर,डावोसाणो,डायीसाणी,डावोधरांऊ,साणोसरता,काचेकुलरेरी,आडायी चावळेरी,ठालो ठणको,पाडे सरिक पढांऊ,मुंगा मोल,गलबाजेमं गांजो, पणिरी पनवाळी,लुंगारीवणीयार,लकण घल्डाऊ,भिनोगळणो,जलम जोडार चित्ताणी,मोटीयारगाळो,मोटीयारमाल,पेड मर्दानी,झालराणी,झालाझुलर,पफोळी फाटगी आसे ये आलंकारिक शब्द धनेती सणगारी हुयी भाषा डायसाणेऊर भाषा व्यवहारेमं सामळेन मळचं.
          आंबराई माइर नकता,नसाब,हासाब,मळाव ये गण सभा माईर नायक नसाबीर बेसका तो एक पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषार जत्राज रेतीती.ई वाड;मयीन जत्रा,सांस्कृतिक जिवनेर प्रक्रियानं दिशा गती देयेवाळ पेनेबाज  भाषारो एक थरार रं.आसे ये अमीर ऊमराव बेसकारो चेहरो इ वाड;मयीन रेतोतो.साकी,साकतर,चोटे,केणावट,दोयरा ये सायीत्ये सवायी गोरुरो संघटन मजबूत वेज सकेनी येरो भान पेनार नायक,नसाबीन रं.पेनार डायसाण,नायक,नसाबीऊर बेसका माईर इ पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा व्यवहार एक पेनारो स्वतंत्र साहित्य सिवारज केणू नी!येरयेती वाड;मयीन गोरमाटी संस्कृती,पेनेबाज सामाजिक चळवळ अन पेनेबाज जिवनशैली कालेताणू जिवत रं.
            बोलीभाषा,प्रमाणभाषा,भाषा व्यवहार ये जो भाषार वर्गीकरण दखावचं,ये माईती व्यवहारिक गोरमाटी भाषारो रुप सौंदर्य इ सौंदर्य शास्त्रेरे आरसाम भी नावडेनी आतरी ऊ देखणी छ.सोतार मालकीर स्वतंत्र साधित अन आलंकारिक शब्दरो खजिनो इ व्यावहारिक गोरमाटी भाषारो एक अदभुत सौंदर्यस्थळ छ.अन विशेष कतो गेनेधेनेरो (ज्ञानभाषा) अर्थसुचक खजीनो येज व्यावहारिक गोरमाटी भाषामं देखेन मळचं.पेनार डायेसाणेऊर अभिव्यक्तीर सौंदर्येनं येज अलंकारिक शब्द,भाषार अलंकार अन साधित शब्दज पोषक,पुरक अन प्रेरक ठरगे छ.ऊद:-

    *धनकुंआरो धन वावडो*
    *धनकुंआरो गाम*..
     *हातीनं तो छेळी गलगी*
     *गलगी च्याळीस गाम*
   *अंबर वेगो राजा भोजेरो नाम*..!

         व्यावहारिक गोरमाटी भाषा  माइर "हातीनं तो छेळी गलगी" ई शब्दालंकार ( अतिशयोक्ती अलंकार) "धनकुंआरो धन वावडो" आसे ये आलंकारिक शब्दज वस्तुनिष्ठ ज्ञानपुरक माहिती पुरावचं.आसे ये भाषार अलंकार अन आलंकारिक शब्दज व्यावहारिक गोरमाटी भाषार पेनोबाजपणो सिद्ध करचं.ये पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा सौंदर्येनं चावळेवाळो रसिक भाषातज्ञ भी अंतर्मुख वेये सवायी रेयेनी,आतरी धम्मक मातरम ये व्यावहारिक गोरमाटी भाषामं नक्कीज छ.इ अतिशयोक्ती छेनी तो एक वास्तव छ..!
         ये व्यावहारिक गोरमाटी भाषार सौंदर्येर मार्मिक वर्णन जेष्ठ कवी भुजंग मेश्राम करमेलो छ.

   *तुम्ही म्हणताच आहात ही शिव्याची संस्कृती तर खुशाल म्हणा* *परंतु गारगोटीच्या ठिणगी सारखी माझी गोरमाटी*
  *पेटवते तुमच्याही ढगाळ रुईला भुरुभुरु*
     *इची भयीन*..
      *काय पेटवते ही मानसायेले आतून बाहेरून*
      *हिच्या आईचा कुणीच मागत नाही पत्ता*
        *आरुढ झाल्यागत मात्र दु:ख तिच्यावर होते फिदा*..!

     आसे ये *गोरपान* गौरवशाली भाषार आपण वलाद छा.ई आपणेवासं घण मोटेपणेर वात छ.ये गोरपान गौरवशाली भाषारे संरक्षण अन संवर्धनेसारु आपण कतरा सक्षम छा? येर ऊत्तर आयेवाळो काळ निश्चित दिये...!

संदर्भ-
1, गोरपान गोरबोलीतील भाषा सौंदर्य
      भीमणीपुत्र
2, कृषी विरुद्ध ऋषी
         अशोक राणा
3, ऊलगुलान
         भुजंग मेश्राम
4, उपयोजित मराठी
        प्रा.डाॅ.शंकरानंद येडले

    ©     *भीमणीपुत्र*
   *मोहन गणुजी नायक*

Q-6 (B) Leaflet on Eye Donation

                          Section-lV
              Written Communication  

Q.6 (B)  Write any ONE of the following:                                                                            (4)
 (1) Prepare an appeal for eye donation         with the help of the following points:
 I) Prepare an effective slogan
ii) Use logo/ picture chart
iii) Advantages of eye donation 
 iv) Make a persuasive appeal
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Ans:
Golden chance to enjoy the beauty of the world forever......!
 Friends, blindness is a curse...
Blinds  are the most underprivileged.
Don't you wish to help them? Everything is black for  blinds
 you are an angel.......
 and you can bring light in their lives.
    * Donate your sight and make their             future bright
    * Enjoy beauty of Nature Jindagi Bhar 
Aur Jindagi ke baad bhi.
       Eye donation is most noble act...!
       Donate eyes, remain alive after death...! 
       Come forward......
       Act now ! 
 Fill up the form.....and submit
Contact--9458384532
-------------------------------------------------
       Marking Scheme
     Covering all necessary details- 2 marks
     Proper beginning and ending- 1 marks
     Language and style                  - 1 marks
                                          -------------------------
                                                 Total- 4  marks

                  Compiled by-  Prof.D.S. Rathod
          http://profdineshrathod.blogspot.com

नाईक साहेबेरो गुन्हो कांयी ?*

*महानायक वसंतराव नाईक साहेबेर अप्रतिष्ठा करेवाळ लोकुपर सामाजिक बहिष्कार का न नाकेन चाये ?*    - फुलसिंग जाधव, छत्रपती संभाजीनगर ============...