हिन्दी 69
*स्मारिका (Souvenir) के लिए लेख भेजने हेतु लेखकों को अपील*
*अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ (AIBSS) का 69वां स्थापना दिवस*
*30 जानेवारी 2022*
*चंद्रपूर, महाराष्ट्र राज्य*
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*आदरणीय लेखकों,*
*जय सेवालाल…. जय वसंत...*
बंजारा, पूरे देश में फैला हुआ सबसे बड़ा जनजाति वांशिक समूह, 30 से 31 जनवरी, 1953 को, ठक्कर बाप्पा नगर, दिग्रस, जिला यवतमाल, (तत्कालीन स्वतंत्र मध्य भारत) में महानायक श्री.वसंतराव फुलसिंग नाईक (तत्कालीन उप राजस्व मंत्री मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री) के नेतृत्व में आम मंच पर इकट्ठा हुआ था। राष्ट्रीय बंजारा मोफत छात्रावास (निःशुल्क बोर्डिंग और लॉजिंग) में रहने वाले जिन युवाओं के मन में एक विचार अंकुरित हुआ था और वे युवा छात्र थे, श्री. प्रतापसिंग आडे, डॉ. आर.आर. राठोड़ और श्री. गजाधर राठोड़ को उनके सलाहकार के रूप में बंजारा समुदाय का एक संगठन, 'सी.पी अँड बेरार बंजारा युवक परिषद (संघ) नामक संघठन बनाया गया था। और जिसकी परिणति श्री. वसंतराव नाईक के नेतृत्व में और उनके भाई श्री. बाबासाहेब (राजुसिं नाईक) की सलाह पर पद्मश्री श्री. रामसिंगजी भानावत, श्री. प्रताप सिंग आडे, श्री. बाबुसिंग राठोड़, श्री. मुडे गुरुजी, श्री. गजाधर राठोड़, श्री.हीरा सदा पवार, श्री.सोनबा चंदू नाईक, श्री. हरजी नायक और अन्य के साथ मिलकर *"अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ" (AIBSS)* नामक सामाजिक संगठन के गठन में हुई।
अत:"अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ" (AIBSS) का प्रथम सम्मेलन दिग्रस के कॉटन मार्केट के मैदान पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री. लालबहादुरजी शास्त्री (तत्कालीन रेल मंत्री, भारत सरकार) ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और सम्मेलन की अध्यक्षता श्री. वसंतराव नाईक ने की। इस प्रथम सम्मेलन में "अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ" (AIBSS) के नाम और शीर्षक से यह संगठन बनाने का संकल्प लिया गया था। श्री. उत्तमराव बलिराम राठोड़ (तत्कालीन एम.ए. के छात्र) संघ के पहले संस्थापक अध्यक्ष और श्री. प्रतापसिंह आडे, महासचिव के रूप में चुने गए थे। तब से अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ" (AIBSS) एक सामाजिक/स्वैच्छिक संगठन के रूप में काम कर रहा है। देश के बंजारों को शिक्षित करने, संगठित करने और एकजुट करने के लिए, समग्र सुधार कार्यक्रमों और देश के बंजारों के उत्थान के लिए यह संगठन निरंतर काम कर रहा है।
तदनुसार अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ देश के बंजारों के सामाजिक सुधारों, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों के संरक्षण के लिए यह संगठन काम करते आ रहा है। साथ ही देश के कई राज्यों में रहने वाले बंजारों जो अलग-अलग नामों से जाने जाते है, यानी उनकी लगभग 31 पर्यायवाची नामों और 12 उप जातियाँ है। हालाँकि, वे मुख्य रूप से "बंजारा" या "गोर बंजारा" और "लमानी" के नाम से विशिष्ट लोकप्रियता से पहचाने जाते हैं। जैसे की बंजारा समुदाय राष्ट्र की संस्कृति के लिए एक चमकता हुआ प्रकाश स्तंभ है, यह संकल्प लिया गया था कि अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ को संवैधानिक तरीकों से, लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण और तरीकों को अपनाकर अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहिए और संवैधानिक रूप से प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत देश के संप्रभु गणराज्य में बंजारो को न्याय प्रदान करना चाहिए।
30 जनवरी, 1953 को श्री. वसंतराव नाईक के नेतृत्व इस सामाजिक संगठन का जन्म हुआ। 30 जनवरी, 2022 अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ का 69वां स्थापना दिवस है। संगठन के 69 वर्ष बंजारा समुदाय के लिए अंतरंगता और विश्वास प्रतिबद्धता और सेवा के स्वर्णिम वर्ष है। कोर कमेटी ने 69 वां स्थापना दिवस 30 जनवरी, 2022 को महाराष्ट्र राज्य में मनाने का फैसला किया है, जहां संगठन का जन्म हुआ था।
1953 से, अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ यह बंजारो की मातृ संगठन के रूप में गोर पंचायतों (सामुदायिक बैठकें), सेमिनार, शिविर (श्रमिक प्रशिक्षण शिविर), क्षेत्रीय और राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और अखिल भारतीय आम सम्मेलनों से लोगों को शिक्षित करने, प्रेरित करने, संगठित करने, एकजुट करने और देश के अनपढ़ बंजारों में जागरूकता पैदा करना के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। संघठन का मुख्य उद्देश्य "कश्मीर से कन्याकुमारी तक, और कच्छ के रण से असम / त्रिपुरा तक" पूरे देश में फैले बंजारों को एकजुट करने और एक आम मंच पर लाने के लिए काम करना था। आज AIBSS के नेशनल बंजारा प्रोफेसर्स एसोसिएशन, स्टेट बंजारा प्रोफेसर्स/टिचर्स एसोसिएशन,नेशनल बंजारा डॉक्टर्स एसोसिएशन जैसे विंग द्वारा बंजारा समाज के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियां चल रही हैं।
श्री. वसंतराव नाईक ने अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक विचारधारा की एक मौलिक श्रृंखला प्रदान कर देश के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने साहसपूर्वक, वाक्पटुता और अध्ययनशील राज नीतिज्ञता से महाराष्ट्र राज्य के सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, कृषि-औद्योगिक आदि परिवर्तन की अवधारणा को पेश कर महाराष्ट्र राज्य और अन्य राज्यों में बसे बंजारा समुदाय का सतत विकास का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी दृष्टि और अभिव्यंजक प्रणाली, वैज्ञानिक और वैचारिक सोच और बुनियादी सिद्धांतों के अनुप्रयोग के कारण, महाराष्ट्र राज्य समृद्ध- 'सुजलम-सुफलाम' बन सका। साथ ही, उन्होंने अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ की स्थापना के माध्यम से देश के बंजारा समुदाय का स्वाभिमानी, राष्ट्रवाद, आत्मनिर्भरता और विकेंद्रित दृष्टिकोण का परिचय दुनियां को दिया। इस कारणवश, अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ का 69 वां स्थापना दिवस के माध्यम से उनके महान व्यक्तित्व और अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ को उजागर करना हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है। इस विशेष ऐतिहासिक दिन के अवसर पर जब देश के पूरे बंजारा समुदाय को न केवल संघ की शुरुआत और इसके संस्थापकों को बल्कि इसकी स्थापना के बाद से संघ के महत्वपूर्ण विकासात्मक पहलुओं को भी प्रतिबिंबित करने की आज आवश्यकता है।
साथ ही, यह स्थापना दिन हमारे गौरवपूर्ण इतिहास का जश्न मनाने और संगठन की निरंतर यात्रा के साथ फिर से जुड़ने का ऐतिहासिक दिन है। जब हम मन, शरीर और आत्मा में विकसित होते हैं तो हम सीखने के आनंद का जश्न मनाते हैं, और इस स्थापना दिवस के तहत हम उस बंधन का जश्न मनाते हैं, जिसे हम अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के अतीत और वर्तमान सदस्यों एंव देश के समस्त बंजारा भाईयों और बहनों के साथ साझा करना चाहते हैं।
आपको अत्यंत प्रसन्नता के साथ सूचित किया जा रहा है कि अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. टि. सी. राठोड, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री. डी. रामा नायक, राष्ट्रीय महासचिव श्री. तुकाराम पवार के मार्गदर्शन में महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपूर शहर में 30 जनवरी 2022 को अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ का 69 वां स्थापना दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस समारोह में देश भर के गणमान्य व्यक्ति और कई बंजारा भाईयों एंव बहनों शामिल होंगे। इस ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण समारोह का मुख्य उद्देश्य बंजारा समुदाय की विभिन्न मांगों को राज्य तथा केंद्र सरकार को अवगत भी कराना है।
इस ऐतिहासिक घटना को लिखित रूप में प्रलेखित करने के लिए ISBN स्मारिका (Souvenir) प्रकाशित हो रही है। आपके लेखन में जैसे,
* वसंतराव नाईक साहब का व्यक्तित्व, समग्र विकास कार्य, बंजारा समुदाय के विकास में अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के योगदान को याद करने के लिए।
*वर्तमान स्थिति में बंजारा समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक समस्याओं पर व्यापक और वैचारिक चर्चा प्रस्तुत करना है।*
*इस कारणवश, देश के लेखकों को इस स्मारिका के लिए एक व्यापक और वैचारिक तरीके से निम्नलिखित विषयों पर अपने शोध लेख प्रस्तुत करने के लिए सूचित किया जा रहा है।*
*लेख लिखने के लिए विषय:*
1. अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ स्थापना करने में वसंतराव नाईक की भूमिका।
2. अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ की पृष्ठभूमि, इतिहास, उद्भव और निर्माण।
3. बंजारा समुदाय के विकास में तत्कालीन समाज सुधारक/ ख्यातनाम व्यक्तीमत्व और अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ के सभी राष्ट्रीय अध्यक्षों की भूमिका।
4. विश्व के बंजारा समुदाय को जोड़ने में पद्मश्री रामसिंहजी भानावत का योगदान।
5. बंजारा समुदाय का गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और लोकसाहित्य।
6. शिक्षा के क्षेत्र में वसंतराव नाईक का योगदान।
7. सामाजिक क्षेत्र में वसंतराव नाईक का योगदान।
8. राजनीतिक क्षेत्र में वसंतराव नाईक का योगदान।
9. कृषि के क्षेत्र में वसंतराव नाईक का योगदान।
10. कृषि-औद्योगीक क्षेत्र में वसंतराव नाईक का योगदान।
11. वसंतराव नाईक और आदर्श पंचायत राज योजना।
12. आधुनिक महाराष्ट्र राज्य के शिल्पकारः वसंतराव नाईक
13. महानायक वसंतरावजी नाईक: एक दूरदर्शी नेता
14. वसंतरावजी नाईक: भारत के आदर्श मुख्यमंत्री।
(तथा वसंतरावजी नाईक के जीवन पर कोई संबंधित लेख)
15. वर्तमान स्थिति में बंजारा समुदाय की विभिन्न समस्याएं। (प्रत्येक समस्या पर अलग-अलग लेख)
16. बंजारा भाषा और संविधान की 8वीं अनुसूची।
*सूचनाः*
*शोध लेख के आरंभ में अपना पूरा नाम, पता, मोबाइल नं. और ई-मेल का उल्लेख करें।*
*लेख जमा करने की अंतिम तिथिः 5 जनवरी 2022*
*लेख शब्द मर्यादाः 500 से 3000 शब्द*
*लेख की भाषाः बंजारा भाषा-गोरबोली, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी
*देवनागरी लेख फॉन्टः कृतिदेव-10 अथवा ISM DV-TT Surekh- (word file)*
*अंग्रेजी लेख फॉन्टः The Times New Roman -14 (word file)*
*लेख open file word format में निम्नलिखित ई-मेल आईडी पर सीमित समय में भेजा जाना चाहिए।*
*aibssfoundationday2022@gmail.com*
*संपादकीय बोर्ड ने लेखों का चयन करने का अधिकार सुरक्षित रखा है।*
*हस्तलिखित या फोटोकॉपी लेख स्वीकार नहीं किए जाएंगे।*
*केवल टाइप किए गए लेख ही स्वीकार किए जाएंगे।*
*देर से प्राप्त लेख स्वीकार नहीं किए जाएंगे।*
*समारोह में शामिल होने वालों को स्मारिका निशुल्क वितरित की जाएंगी। तथा जो लेखक समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें घर के पते पर स्मारिका भेजी जाएगी।*
*स्मारिका पाठकों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय वेब पोर्टलों पर उपलब्ध कराई जाएगी।*
*इस स्मारिका में सभी क्षेत्रों के लेखकों को भाग लेकर अपना बहुमूल्य शोध लेख प्रस्तुत कर इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी बनें।*
*संपर्क-*
*मुख्य संपादकः*
*डॉ. दिनेश सेवा राठोड*
(नॕशनल बंजारा प्रोफेसर्स असोसिएशन)
दूरभाषः 9404372756
*सह-संपादकः*
*श्री. शंकर आडे*
(पत्रकार एवम् प्रवक्ता- अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ)
दूरभाषः 8805955061
*तथा कार्यकारी संपादकीय समितिः*
अखिल भारतीय बंजारा सेवा संघ स्थापना दिवस स्मारिका-2022
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स्मारिका (Souvenir) के लिए शोध लेख बुलाए जाने की जानकारी विभिन्न सोशल मीडिया पर एक साथ अंग्रेजी, हिंदी और मराठी भाषा में प्रसारित की गई है।
*अनुरोध है कि स्थापना दिवस समारोह में अवश्य पधारे आप सभी का स्वागत है।*
*धन्यवाद....!!*