Wednesday, August 29, 2018

*वाते मुंगा मोलारी*  My Swan song 


*वानगाळो जिवन व्यवहार बदलणो इ काळेर गरज...!*

वानगाळो* ई व्यावहारिक गोरमाटी भाषा माईरो एक स्वतंत्र शब्द छ.मराठी "नाना प्रकारचे"ये आरथेरो "वानावानारो"ये व्यवहारिक गोरमाटी भाषा शब्दे माईती *वानगाळो* इ शब्द व्यावहारिक गोरमाटी भाषा व्यवहारेमं रुढ वेमेलो छ."वानगाळो" ये शब्देर एक स्वतंत्र ओळख छ. *मोटीयारगाळो* ई आलंकारिक शब्द जसो जवानीर अवस्थारो संकेत दचं,जुज *वानगाळो* इ पेनेबाज गोरमाटी भाषा शब्द आपणो आजेर सामाजिक,वाड;मयीन अन सांस्कृतिक जिवनशैलीर रुप सौंदर्येर ओळख दरसावचं.वानावानार भाषारे प्रभावेती गोरुर जिवनशैली अन विचार सौंदर्य भी आज "वानगाळो रुप" धारण करमेलो छ.आज आपण कुणसे संस्कृतीमं जगरे छा..आपणो पेनेबाज जिवनमूल्य कांयी छ ? ई कळरो छ;पणन वळरो कोनी छ...!

येरो एकमेव कारण भाषाज छ.पेनेबाज व्यवहारिक गोरमाटी भाषारो तिरस्कार इज गोरुर पेनेबाज जिवनशैली अन वाड;मयीन गोर संस्कृतीनं मारक ठररी छ,इ वास्तव केनीज नाकारतू आयेनी.भाषा इ केवळ संवादेरज साधन छेनी तो ऊ एक विचार सौंदर्य आदानप्रदान करेर एक प्रमुख साधन भी छ.आज पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषारो स्वरुप बदलगो. बापेनं "तम"केयेर वयीवाट रुढ वेगी.वानगाळे जिवन व्यवहारेती हामार वैचारिक पातळी भी घसरगी.बोडी आपणे जेट अन संसरेनं नाम लेन संबोधे लाग.धणी आपणे गोंण्णीनं नाम लेन हाकारेन लग्गो.बोडी आपणे सासू ससरे मुंड्यागं बोडकी,गाऊन पेरन हिंडे लाग.नाते संबंधेमं एक पेनेबाज वयीवाट रं,ऊ जिवनमूल्य सदा ढासळगो...!

"वर्जन" Avoidance, "संकेत नाम नातो" Tekonymy, ये समाज शास्त्रीय नाता संकेत आज गोरमाटी संस्कृती माईती हद्दपार वेगे छ."परिसास संबंध नातो" Joking Relationship ये नातेर मर्यादा घसरगी.मनक्यानं *माटी* बणायेर कुवत आजेर प्रचलित गोरमाटी भाषा व्यवस्थामं आजीबात रेगी कोनी..!

भाषा इ संस्कृतीर वाहन छ.पेनेबाज व्यवहारिक गोरमाटी भाषा इ गोरुर वाड;मयीन संस्कृतीरो आरसा छ.आज आपणे पेनेबाज व्यावहारिक गोरमाटी भाषा व्यवहारे माईती "याडी,बा,भेनोयी, वडारी,वचेट वडारी,नानक्या वडारी,भाया,नणदोयी ये से पेनेबाज नाम संकेत हद्दपार वेगे.आजेर प्रचलित गोरमाटी भाषा व्यवस्थारे आरसामं आपणेनं आपणे वाड;मयीन संस्कृतीरो मुंडो अन आपणे जिवन मूल्येरो मूंडो भी "वानगाळो" दखायेन लग्गो छ.

गण जीवनेर भावना पार बदलगी. *मन कांयी करलेयेर छ*! ई आत्मकेंद्री भावना बळकट वेती जारी छ.हाम *न धड गोरुमं अन न धड कोरेमं*! ई हामार जिवनमूल्येर ओळख निश्चित वेरी छ... *भाषा बदलगी...बानो बदलगो...बानी भी बदलगी*! *टेस ये शब्देर व्याख्या बदलगी..से बेभान छ*!

व्यावहारिक गोरमाटी भाषा इ वाड;मयेर भाषा छ.गोरमाटी संस्कृती ई सदा वाड;मयीन संस्कृती छ.ये वाड;मयीन संस्कृती माईरो "नातलो, ओळंग,साकी,साकतर, टेर,लेंगी,झोळीगीद,वाजणा,डड्याळ गीद,चोटे, दोयरा" ये व्यावहारिक गोरमाटी भाषार अस्तित्वेर ओळख भी हद्दपार वेगी.ये वाड;मयीन गोरमाटी संस्कृतीरो आधिबंध थेट जगजेष्ट सिंधू संस्कृतीनं जान भिडचं. ये जगविख्यात संस्कृतीरे पेनेर सदा हाम *बानी* कोनी रकाडे छ...!

आज हाम एक महान जगजेष्ट संस्कृतीर *वेसुलार* ओळख सदा *वानगाळो* करन बेग दिने ई शोकांतिका छ..!

आपण भाषिक,वांशिक अन सांस्कृतिक वेगळोपणो कायम रकाडणू इ आज काळेर गरज छ.नतो पचं हरप्पार पतनेर बाद पणिर वलाद गोरमाटी पेना जू जगभर विकरागे जुज आजी एकवणा विकरायेनं आब जादा लागेवाळ छेनी.

आपण से भायी संघटित रेन आपणो सांस्कृतिक, भाषिक, वाड;मयीन ये पेनेबाज जिवनमूल्य व्यवहार जतन रकाडा,येमज आपणो भलो छ..!!!

*सवारेरो आयेवाळो वघम घणो कठीण छ..संघटित रेणो गरजेर छ*...!

                   भीमणीपुत्र*
        *मोहन गणुजी नायक

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