Friday, April 26, 2019

​वाते मुंगा मोलारी ( My Swan song) “छच्यापरेर गल्ला ग॔मतेर रमतीमं सदा गोर धाटीर एक न्यारे अस्तित्वेर ओळख”:- गोर साहित्यिक भिमणीपुत्र मोहन गणुजी नाईक


                            “छच्यापरेर गल्ला ग॔मतेर रमतीमं सदा गोर धाटीर एक न्यारे अस्तित्वेर ओळख”



                          ​वाते मुंगा मोलारी
                         ( My Swan song)

छच्यापरेर गल्ला ग॔मतेर रमतीमं सदा गोर धाटीर एक न्यारे अस्तित्वेर ओळख

एक बोधप्रद गोर छच्यापरेर रमती

पाको आंबा चुचन खायेर बाद एक छोरा आपणे हाते माईर आंबार गटली दुसरे छोरानं, वतान ओन पुचचं क,..
आंबार गटली चोर कुण..?
हानू पुचेर बाद, रमती माईरो एकांदी छोरा इ आव्हान स्वीकारलचं ..अन कचं क,..
म..!
पचं आंबार गटली चुचन खायेवाळो छोरा, इ जो आव्हान स्वीकारमेलो छ ओ म ये छोरान पुचचं क,..
तार भिरु कुण..?
पचं इ जो आव्हान स्वीकारमेलो छ जकोण (म)ओर भीरू वतान कचं क,..
एकांदी छोरार नाम लेन ई मार भिरु छ हानू वतावचं
पचं आंबार गटली खायेवाळो ऊ छोरा, वताये जे चोरेन मारेर छोड देन ओर ” भिरुन” गटली फेकान मारचं..!
बोधप्रद संकेत-
भिरु= अंग रक्षक, हित चिंतक हानू आर्थ लक्षार्थ अन वाच्यार्थेती स्विकारतू आवचं
क्रांतिसिंह सेवालाल महाराजेर ५२ भिरु रं.इ इतिहास प्रसिद्ध वात छ.
आंगड्या चोरेन मारेर छेनी तो ओर भिरुन मारन ओर बळ कमी करेरो..ओन कमकुवत करेरो इ नीति पाठ ये रमती माइती सिकेन मळचं.ये धाटीर आपण वलाद छा येरो अभिमान आपणेन चावचं*


                              भीमणीपुत्र
                       मोहन गणुजी नायिक

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