Saturday, August 11, 2018

गोरबोली भाषा व्यवहारकोश निर्माण वेणू ई काळेर गरज !

 गोरबोली भाषा व्यवहारकोश निर्माण वेणू ई काळेर गरज !  -
                                                          
                         प्रा.दिनेश सेवा राठोड               (Maharashtra State Unit Of NBPA)
      बापू भीमणीपुत्रेर इ अभ्यासपूर्ण पोस्ट घण महत्वेर छ.गोरमाटी संस्कृती अन गोरबोली भाषा जतन रेयेवासं 'गोरबोली भाषा व्यवहारकोश,गोरबोली शब्दकोश,सचित्र शब्दकोश अन गोरमाटी संस्कृतीकोश' निर्माण वेये सवायी गोरबोली भाषा अन गोर संस्कृतीरो मूलभूत संशोधन केनी करतू आयेवाळो छेनी.
          भाषा व्यवहारेर उच्चार इ व्यक्तीगणिक,प्रदेश विशिष्ट,भौगोलिकदृष्ट्या ओनेर आदते नुसार बोलीभाषामज करचं हानू अभ्यासकेर केणो छ.भाषारो संशोधन इ भौगोलिकदृष्ट्या वेणू योग्य छ हानू मारो भी मत छ. उदा:- "मिरझाये निकळो नेरुनेमाई पडी..ये नंगारारी ठोळ,मिरझा टोपीवाळो..ये!" ये गोर गीदेनं प्रादेशिकतार झालर छ."नेरुन"इ पाकिस्ताने माईर हैदराबाद शेरेर प्राचीन नाम छ.बोलीभाषार उच्चार ध्वनीपं प्रादेशिक भूभागेर लोकगणेर बोलीभाषारो प्रभाव उमटतो दखावचं.जसो महाराष्ट्रेर गोरबोली भाषा व्यवहारेमं 'सभा' ये शब्देरो उच्चार ध्वनी 'सभा' हानू उमटतो दखावचं,खानदेशेर गोर लोकसाहित्येमं सभारो उच्चार "छभा" हानू आढळतू दखावचं.खानदेशेर गोरबोली भाषामं "ळ"ये वर्णेर उच्चार "ल"हानू वेतू दखावच.
        भाषार अभ्यासकेनं भाषार अभ्यासेवासं जे कक्षा ठरामेले छ ओमं 'बोलीभूगोल' इ कक्षा छ.येर नुसार बोलीभाषारो संशोधन वेणू इ भी महत्वेर छ. ग्रेयरसन ई पाश्चिमात्य भाषावैज्ञानिक भारतेर बोलीभाषार सर्व्हे किदो, गोरबोली भाषा इ गोर गणसमूहेर भावना,संस्कृती,अन विचार परंपरा निदर्शक करन ओ वेळाम वापरेम आयी छ इ सिद्ध हुवो छ.बोलीभाषार अभ्यासेवासं जे कक्षा केमेले छ ओमं बोलीभूगोल इ एक कक्षा छ इंग्रजीमं ओनं dialect geography कचं.
        आपण जे भाषार वापर कराचा ऊ कुणसे मलकेती आइ अन कतं कतं पसरगी अन ऊ बोलीरो कुणसो रुप लिदी ये से वातेर अभ्यास ये 'बोलीभूगोलेमं' वचं. खरो तो आपण प्रमाण भाषान बोलीभाषाज समजाचा.उदा:- पूणार जो पूणेरी मराठी छ इ भी एक बोलीभाषाज छ.भाषा इ जडेबूडेतीज ध्वनीरूप साधन छ,करन ओर लेखन गौण ठरचं.ये संदर्भेमं बापू भीमणीपुत्र कचं क,"ध्वनी सवायी भाषानं गती लागेनी कतोज भाषा इ ध्वनीरुप छ.बोलणो ई महत्वेर रेयेर कारण ई गरज अन सोय छ." प्रमाण भाषातीज बोलीर निर्मिती वचं हानू एक मतप्रवाह आढळचं.हाम "गोर"आतं नेटिव्ह सन्स छा.प्रमाण भाषार अपभ्रंशरुप बोली इ एक गैरसमज वेमोलो छ,हानू अभ्यासक कचं. प्रमाण भाषानज बोलीभाषा केरे छ.विविधता अन वैचित्र्य ई बोलीर प्रकृती छ.
      खरो तो बोली अन भाषामं भेद निर्माण करणो इ थोतांड छ. बोली अन भाषा इ एकज छ.वसाहतपूर्व काळेमं बोली अन भाषा हानू वर्गीकरण कोनी रं,हानू जागतिक भाषातज्ज्ञ डाॅ.गणेश देवीर केणो छ. बोलीभाषा अन साहित्येरो विचार किदे तो बोली माइतीज दर्जेदार साहित्य निर्माण हुवो छ.जसो गोर बंजाराकनं लोकसाहित्येरो घणो मोटो मौखिक वारसा छ.नाळी नाळी कालखंडेमं जसो भाषारो रुप बदलो ओसोज बोलीभाषा भी अंतरे अंतरेपं बदलगी छ.ये बदलते रुपेर आविष्कार गोरबोली भाषारे भक्कमशे साहित्यकृतीमं दखावचं.उदा:- बापू भीमणीपुत्र मोहन नायकेर साहित्यकृती, विशेषतः 
 1960 बादेमं जो वाड;मय प्रवाह रुढ हुवो ओमं साहित्यगत बोलीरो प्रत्यय दखान पडचं.जसो मराठी भाषार भक्कमसे बोलीसाहित्यिकेर साहित्येम दखावच.कुणसो भी साहित्य बोलीभाषातीज समृद्ध वेमेलो छ.आजेर जागतिकीकरणेर पार्श्वभूमीपं बोलीभाषा इ घणज लारं पडेर चित्र दखावचं.गोरबोली भाषा इ एक येरो ज्वलंत नमुना छ.हाम सिकेपडे लोकज गोरबोली भाषार विनाशेनं कारणीभूत ठररे छा.सरकार अन विद्यापीठ भी बोलीभाषार बाबतेमं उदासीन छ.   गोरबोली भाषा जीवत रकाडेवासं तांडो,शेर अन घरे घरेमा आपणो जीवनव्यवहार ये से गोरबोली भाषामज वेयेन चाये.आपणो लेखन प्रपंच भी आपसेमं गोरबोली भाषामज चालेन चाये."गोरबोली भाषा शब्दकोश,सचित्र शब्दकोश, गोरबोली भाषा व्यवहारकोश,गोर संस्कृतीकोश" निर्माण वेणो आज घणो गरजेर वेगो छ.
    गोरबोली भाषा इ आपण याडीबोलीभाषा छ.इ आपण याडी बोलीभाषाज आपणे सांस्कृतिक मूल्येर संवर्धन कर सकचं.ओमाईती आपण विचार,भावभावना कळजे कनेती अभिव्यक्त वचं.करन आपण याडी बोलीभाषा अबाधित रकाडणो ई आपण से भायी,भेनेऊर दायीत्व छ.चालो पच आपंण गोरबोली बचावा, आपंण संस्कृत(धाटी) बचावा..  

संदर्भः Bhimniputra's Gorpan: The Linguistic Beauty In Gor-Boli Dilect  :  

  ISBN-978-93-87538-88-7
  http://bluerosepublishers.com/product/bhimniputras-gorpan-lingustic-beauty-gor-boli-dialect

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